नारनौंद हल्के का चुनाव बस एक सीट तक सीमित नहीं है , नारनौंद हल्के का चुनाव 5 साल बाद की चौधर का चुनाव भी है

 रोला चौधर का :-

एक अपील नारनौंद हल्के के मतदाताओं से -

नारनौंद हल्के का चुनाव बस एक सीट तक सीमित नहीं है , नारनौंद हल्के का चुनाव 5 साल बाद की चौधर का चुनाव भी है । जो विरोध आज बीजेपी का है 10 साल पहले वो कांग्रेस का भी था । आने वाले 5 या 10 साल बाद लोग कांग्रेस के खिलाफ भी नू ए झंडे उठाए मिलेंगे । 

और आज जो बीजेपी की हालत उसमें एक भी स्टेट लेवल का ईसा नेता नहीं बचा है जो मुख्यमंत्री का दावेदार हो । 

नारनौंद में कैप्टन का जीतना आने वाले समय में तय करेगा कि चौधर नारनौंद की होगी या रोहतक की । 

इब बात शुरू करा जाट आरक्षण आंदोलन 2016 की तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों का main target कैप्टन साहब थे जिसने कभी एक शब्द भी जाटों या किसानों के खिलाफ नी बोला ।रोहतक में कैप्टेन ते ज्यादा प्रमुख नेता मनीष ग्रोवर थे लेकिन या एक बड़े समाज के नेता न खत्म करने की शुरुआत थी । 

उसके बाद 2019 में चुनाव आया तो सारी प्रमुख पार्टियों का main target कैप्टन को हराने पर था । कैप्टन साहब जिसने नारनौंद में इतने काम करवाए जो आज तक कही भी ना होए। आज खेड़ी चौपटा जिसे छोटे से गांव में जमीन के रेट 2 करोड़ ते ज्यादा है वो कैप्टेन के करे होए विकास कार्यों की देन है ।

2014 ते 2019 तक जितना फसलों का मुआवजा आया उतना शायद ही आज तक किसी हल्के में आया हो । नहर का पानी सबसे ज्यादा नारनौंद हल्के के हिस्से आया है । लेकिन फेर भी किसानों का main target कैप्टन को बनाया गया ताकि रोहतक की चौधर नारनौंद में शिफ्ट नी हो जावे ।

2023 में किसान आंदोलन में धरना खेड़ी चौपटा में रखा गया , और वहां पे जो लाठीचार्ज होया वो सब कैप्टन न बदनाम करने खातर करा गया , वो आप समझ सको हो कि किसके इशारे पर होया । 

2014 में जब इनेलो मजबूत थी तब कांग्रेस न डमी कैंडिडेट उतार दिया , 2019 में जब jjp मजबूत थी तब कांग्रेस न ऐसा कैंडिडेट दिया जिसका आज भी 95 % लोगो न नाम ही कोनी बेरा । ये सब नारनौंद की चौधर खत्म करने खातर करा गया ।

अब बात करा 2024 के इलेक्शन की तो कैप्टेन न हराने खातर रोहतक का पैसा , रोहतक के लोग , रोहतक की गाड़ी सब लगा रखा है । 2024 का इलेक्शन नारनौंद का वजूद , नारनौंद की चौधर , नारनौंद का जमीर बचान की लड़ाई है । 

कैप्टन न वोट देन के सैकड़ों काम है , लेकिन वोट ना देन का सिर्फ एक , कि वो बीजेपी से है ।

कम से कम उन बहन बेटियों की सोच लियो जो 2014 ते पहले जींद या हिसार बसों में धक्के खा के जाया करती लेकिन आज नारनौंद हल्के के हर गांव ते ज्यादा ते ज्यादा 12 15 km पे कॉलेज है । 

नारनौंद हल्के में 4 बड़े खेल स्टेडियम बने है । लुवास का सब सेंटर आज नारनौंद हल्के में है । 

हॉस्पिटल की 4 मंजिला बिल्डिंग नारनौंद हल्के में है जो शायद किसे ग्रामीण हल्के में नी मिलेगी ।

डाटा गांव में 350 करोड़ की लागत ते रिफाइनरी चालू है , जिसमें थारे जिसे भाईयो न रोजगार मिल रा है ।

राखी गढ़ी में 30 करोड़ की लागत ते म्यूजियम का काम लगभग 90 % complete हो लिया है । 

इतने काम कोई नेता किसी शहरी हल्के में करवा देता 20 साल बिना वोट मांगे ही जीत जाता । 

लेकिन आज भी कुछ लोग बस सरिया निकालन पे खड़े है , उसका तो सरिया निकल लिया पर थारे बालक कब तक हु - डा के पैरों में पड़े रहवेंगे ।

नारनौंद के लोगो ते एक अपील है , वोट का आपका अधिकार है किसे न दो , पर इतने पागल ना बनो कि किसी के बहकावे में आ के अपना भविष्य , अपनी चौधर , अपना वजूद खत्म कर बैठो । 

🙏🙏

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