1 |
Postwise Groupwise का केस खत्म |
एक समान क्वालीफाइंग मानक (60% / 55%) से ग्रुप और पोस्ट के अनुसार अलग-अलग नियमों की आवश्यकता नहीं रहेगी। इससे भर्ती प्रक्रिया सरल और विवादमुक्त होगी। |
2 |
स्क्रूटनी में आसानी |
केवल योग्य उम्मीदवारों के दस्तावेज़ चेक करने होंगे। इससे अयोग्य उम्मीदवारों के कारण योग्य उम्मीदवार बाहर नहीं होंगे और समय की बचत होगी। |
3 |
आरक्षण नीति का केस खत्म |
स्पष्ट क्वालीफाइंग नियम लागू होने से आरक्षण से जुड़े विवाद और कोर्ट केस खत्म हो जाएंगे। |
4 |
भविष्य की योजना स्पष्ट होगी |
उम्मीदवारों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उन्हें अगले CET की तैयारी करनी है या मुख्य परीक्षा (Mains) की। इससे उनके करियर की योजना बनाना आसान हो जाएगा। |
5 |
प्राइवेट सेक्टर में अवसर |
स्पष्टता होने से जिन उम्मीदवारों को प्राइवेट सेक्टर में जाना है, वे नौकरी पा सकेंगे। इससे राज्य पर आर्थिक बोझ कम होगा और आर्थिक विकास को बल मिलेगा। |
6 |
बेरोजगारी नहीं बढ़ेगी |
सही और स्पष्ट नियमों से रोजगार के अवसर बनाए जा सकेंगे, जिससे बेरोजगारी की समस्या में कमी आएगी। |
7 |
आर्थिक संकट से राहत |
उम्मीदवारों से 9000 रुपये लेकर सरकार जो आर्थिक संकट पैदा कर रही है, वह स्पष्ट और सरल नियमों से खत्म हो जाएगा। |
8 |
पुराने और नए CET का संतुलन |
60% क्वालीफाइंग मानदंड लागू होने से पुराने (95 अंक का पेपर) और नए (100 अंक का पेपर) CET में संतुलन बना रहेगा। दोनों के अंकों को समान मानते हुए विवाद खत्म किया जा सकता है। |
9 |
भर्ती प्रक्रिया तेज होगी |
सही नियम बनाकर अगले 5 वर्षों में दो के बजाय तीन भर्तियां भी संभव हो सकती हैं। |
10 |
टेक्निकल कैंडिडेट्स के लिए विशेष नियम |
टेक्निकल पोस्ट्स के लिए 50% (ओबीसी/SC/ST के लिए 45%) क्वालीफाई मानदंड लागू किया जा सकता है या CET प्रक्रिया से बाहर रखा जा सकता है। इससे छोटी पोस्ट्स पर भर्ती में टेक्निकल कैंडिडेट्स को मदद मिलेगी। |
11 |
ऊर्जा, धन और समय की बचत |
उम्मीदवारों की विषय-विशेष जानकारी पर ध्यान देने से समय और संसाधनों की बचत होगी। जैसे, VLDA पोस्ट के लिए मेडिकल ज्ञान को प्राथमिकता दी जाए न कि मैथ्स, रीजनिंग और GK पर। |
12 |
अन्य सुधारों की संभावना |
अन्य राज्यों जैसे राजस्थान मॉडल अपनाते हुए इस प्रक्रिया में और भी सुधार किए जा सकते हैं। |
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