हिसार: फर्जी एससी/एसटी मामलों के नाम पर हो रही ठगी का खुलासा, जांच की मांग तेज गतिविधियां कैमरे में कैद हुई हैं

 हिसार: फर्जी एससी/एसटी मामलों के नाम पर हो रही ठगी का खुलासा, जांच की मांग तेज गतिविधियां कैमरे में कैद हुई हैं। 

हिसार: हरियाणा के हिसार जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दलित समुदाय के कुछ कथित नेताओं द्वारा फर्जी एससी/एसटी मामलों को दर्ज करवाकर समझौते के नाम पर धन उगाही करने की गतिविधियां कैमरे में कैद हुई हैं। यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन और पुलिस पर निष्पक्ष जांच की मांग तेज हो गई है।



कैसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा?

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों ने इन कथित दलित नेताओं की गतिविधियों पर संदेह जताया था। आरोप है कि ये लोग जानबूझकर फर्जी एससी/एसटी उत्पीड़न के मामले दर्ज करवाते थे और फिर समझौते के नाम पर पैसे ऐंठते थे। इस पूरे खेल का वीडियो कैमरे में रिकॉर्ड हो गया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

फर्जी मामलों की रणनीति

  1. मनगढ़ंत केस दर्ज करवाना: आरोपियों पर आरोप है कि वे साजिशन एससी/एसटी कानून के तहत झूठे केस दर्ज करवाने के लिए पीड़ितों की पहचान कर उन्हें उकसाते थे।
  2. समझौते के नाम पर उगाही: एक बार मामला दर्ज हो जाने के बाद, वे आरोपी पक्ष पर दबाव बनाकर पैसे लेकर समझौता करवाने की कोशिश करते थे।
  3. सरकारी लाभ हड़पना: आरोप है कि इन लोगों ने सैकड़ों फर्जी केस दर्ज करवाकर सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि से करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

पूरे दलित समाज पर पड़ रहा असर

इस प्रकार के फर्जीवाड़े का खामियाजा पूरे दलित समाज को भुगतना पड़ रहा है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का मानना है कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से दलित समुदाय के असली पीड़ितों को न्याय मिलने में बाधा आ रही है। इसके अलावा, इससे पूरे समाज की छवि खराब हो रही है और वास्तविक पीड़ितों की शिकायतों को भी संदेह की नजर से देखा जाने लगा है।

प्रशासन की भूमिका और जांच की मांग

घटना के उजागर होने के बाद प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। आम जनता का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

हरियाणा के एक वरिष्ठ वकील ने कहा, "अगर यह सच साबित होता है कि कुछ लोगों ने झूठे केस दर्ज करवाकर पैसे ऐंठे हैं, तो यह कानून के साथ खिलवाड़ है। प्रशासन को ऐसे मामलों की गहन जांच कर असली दोषियों को पकड़ना चाहिए।"

वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि सरकार इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एक विशेष समिति बनाए जो एससी/एसटी मामलों की जांच पारदर्शी तरीके से करे, ताकि झूठे मामलों की आड़ में असली पीड़ितों के अधिकारों का हनन न हो।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। कई दलों के नेताओं ने इस मामले पर बयान दिए हैं। एक दलित नेता ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति फर्जी केस दर्ज करवा रहा है तो उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पूरे दलित समाज को निशाना बनाया जाए।"

दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाएं दलित समाज को बदनाम करने के लिए गढ़ी जा रही हैं।

क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि एससी/एसटी एक्ट एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसका उद्देश्य उत्पीड़ित समुदायों को सुरक्षा देना है। लेकिन यदि इसका दुरुपयोग होता है, तो इससे कानून की साख पर भी सवाल उठते हैं।

एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, "झूठे मामले दर्ज करवाना कानून का दुरुपयोग है, और यदि ऐसे मामलों में दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।"

निष्कर्ष

इस पूरे प्रकरण ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है—कैसे कुछ लोग कानून का दुरुपयोग कर अपने निजी स्वार्थ के लिए समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले की गहन जांच करे और दोषियों को सजा दिलाए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि असली पीड़ितों को न्याय मिले और वे किसी भी तरह की कानूनी बाधा के बिना अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।

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