नारनौंद सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूल में मिड-डे मील भर्ती घोटाला: योग्य उम्मीदवार को नहीं मिली नौकरी
हरियाणा के हिसार जिले के नारनौंद सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूल में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह घोटाला मिड-डे मील योजना के तहत दी जाने वाली नौकरी से जुड़ा है। आरोप है कि यह नौकरी एक योग्य व्यक्ति को दी जानी थी, लेकिन भ्रष्टाचार और हेराफेरी के चलते किसी अन्य व्यक्ति को गलत तरीके से नियुक्त कर दिया गया। इस मामले के उजागर होने के बाद स्थानीय लोगों में भारी रोष देखने को मिल रहा है।
कैसे सामने आया मामला?
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब एक स्थानीय उम्मीदवार, जिसे पहले इस पद के लिए चुने जाने की बात कही गई थी, ने शिकायत दर्ज करवाई। उसके अनुसार, उसे अधिकारियों ने मौखिक रूप से बताया था कि वह इस पद के लिए उपयुक्त है और जल्द ही उसकी नियुक्ति होगी। लेकिन बाद में, बिना किसी स्पष्ट सूचना के, किसी और को इस पद पर रख लिया गया।
इसके बाद शिकायतकर्ता ने स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग से न्याय की मांग की। जब स्थानीय मीडिया ने इस मामले को उठाया, तो कई और लोगों ने भी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की बात कही।
नौकरी की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता
सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, मिड-डे मील योजना के तहत कर्मचारियों की नियुक्ति पूरी पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए। उम्मीदवारों का चयन उनकी योग्यता, अनुभव और जरूरत के आधार पर किया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में, नियमों का पालन नहीं किया गया।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात हुआ और कुछ प्रभावशाली लोगों ने मिलकर योग्य व्यक्ति को दरकिनार कर दिया। यह भी संदेह जताया जा रहा है कि इस मामले में पैसों का लेन-देन हुआ होगा, जिससे किसी अन्य को इस पद पर नियुक्त किया गया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
जब यह मामला उजागर हुआ, तो स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा,
"यह सरासर अन्याय है। जो लोग योग्य हैं, उन्हें नौकरी नहीं दी जा रही, और जो अयोग्य हैं, वे सिफारिशों के आधार पर नौकरी पा रहे हैं। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।"
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग का कहना है कि उन्हें इस तरह की शिकायतें मिली हैं और जांच शुरू कर दी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,
"अगर किसी भी तरह की अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।"
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि गलत तरीके से नियुक्त व्यक्ति को हटाया जाएगा या नहीं।
क्या है मिड-डे मील योजना?
मिड-डे मील योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत, सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों को मुफ्त भोजन दिया जाता है।
इस योजना के सही संचालन के लिए कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, जो भोजन बनाने और वितरित करने का कार्य करते हैं। लेकिन जब इन नौकरियों में भ्रष्टाचार होता है, तो यह योजना अपने मूल उद्देश्य से भटक जाती है।
अब आगे क्या?
-
शिक्षा विभाग इस मामले की जांच कर रहा है।
-
स्थानीय प्रशासन को भी इस मामले में दखल देना पड़ सकता है।
-
अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो भर्ती प्रक्रिया दोबारा शुरू हो सकती है।
-
दोषियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष
नारनौंद सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूल में हुआ यह घोटाला सरकारी व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार को उजागर करता है। सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। अगर इस तरह की हेराफेरी को रोका नहीं गया, तो यह गरीब और योग्य लोगों के लिए अन्यायपूर्ण साबित होगा।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और पीड़ित उम्मीदवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।