देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन आज जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ेगी: भारतीय रेलवे में एक नया अध्याय
भारत के रेलवे इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन आज जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह ऐतिहासिक कदम न केवल भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण पहल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना को भारत के "विजन 2047" के तहत आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संवेदनशील परिवहन व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
क्या है हाइड्रोजन ट्रेन और क्यों है यह खास?
हाइड्रोजन ट्रेन एक शून्य-उत्सर्जन (Zero-Emission) ट्रेन है, जो डीजल या इलेक्ट्रिक इंजन के बजाय हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग करती है। इस ट्रेन में हाइड्रोजन गैस को एक ईंधन सेल में भेजा जाता है, जहां यह ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके बिजली उत्पन्न करता है। इससे ट्रेन का इंजन चलता है और पानी व भाप के अलावा कोई भी प्रदूषक तत्व नहीं निकलता।
हाइड्रोजन ट्रेन की प्रमुख विशेषताएं:
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पर्यावरण के अनुकूल: हाइड्रोजन ट्रेन कार्बन उत्सर्जन को शून्य कर देती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए बेहद लाभकारी है।
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डीजल इंजनों का विकल्प: यह ट्रेन उन रेलवे ट्रैकों पर चलाई जा सकती है जहां अभी तक इलेक्ट्रिफिकेशन नहीं हुआ है, जिससे डीजल ट्रेनों की निर्भरता कम होगी।
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कम आवाज और कंपन: यह ट्रेन डीजल इंजन की तुलना में काफी शांत और स्मूद होती है।
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बेहतर ऊर्जा दक्षता: यह ट्रेन पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कम ऊर्जा में अधिक दूरी तय कर सकती है।
जींद-सोनीपत रूट का चयन क्यों?
भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन के लिए हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट को चुना है। यह रूट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:
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यह उत्तर रेलवे का एक व्यस्त रूट है, जहां हाइड्रोजन ट्रेन का परीक्षण किया जा सकता है।
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इस रूट पर अभी भी कई हिस्सों में डीजल इंजन वाली ट्रेनें चलती हैं, जिन्हें हाइड्रोजन ट्रेन से बदला जा सकता है।
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हरियाणा सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रेलवे के साथ मिलकर काम कर रही है।
कब और कैसे शुरू होगी यह ट्रेन?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल सुबह 10 बजे जींद रेलवे स्टेशन से शुरू होगा और यह ट्रेन पहले चरण में सोनीपत तक जाएगी। इस दौरान विशेषज्ञों की एक टीम इंजन, बैटरी सिस्टम, फ्यूल सेल की परफॉर्मेंस और सुरक्षा पहलुओं पर नजर रखेगी।
अगर यह परीक्षण सफल रहता है, तो आने वाले कुछ महीनों में इस ट्रेन को वाणिज्यिक रूप से यात्रियों के लिए चालू कर दिया जाएगा।
भारत में हाइड्रोजन ट्रेनों का भविष्य
भारतीय रेलवे ने 2040 तक पूरी तरह से कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में हाइड्रोजन ट्रेनों का रोल बेहद अहम होगा। सरकार और रेलवे मंत्रालय की योजना है कि
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अगले 5 वर्षों में कम से कम 10 नई हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू की जाएंगी।
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पहले चरण में यह ट्रेनें उन रूट्स पर चलाई जाएंगी, जहां अभी तक इलेक्ट्रिक लाइनें नहीं बिछाई गई हैं।
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रेलवे अपनी पुरानी डीजल ट्रेनों को हाइड्रोजन ट्रेनों में बदलने की योजना पर काम कर रहा है।
अन्य देशों में हाइड्रोजन ट्रेनों की स्थिति
भारत से पहले जर्मनी, चीन और फ्रांस जैसे देश पहले ही हाइड्रोजन ट्रेनों का सफल परीक्षण कर चुके हैं। जर्मनी ने 2018 में पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई थी और अब वहां 100 से अधिक हाइड्रोजन ट्रेनें कार्यरत हैं। भारत भी इसी दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
क्या होंगे यात्रियों के फायदे?
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यह ट्रेन कम आवाज और झटकों के साथ अधिक आरामदायक यात्रा प्रदान करेगी।
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इसका किराया पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कम रखा जा सकता है, क्योंकि यह ईंधन-कुशल है।
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कम प्रदूषण के कारण स्टेशनों और पटरियों के आसपास रहने वाले लोगों को बेहतर हवा की गुणवत्ता मिलेगी।
सरकार और रेलवे की प्रतिक्रिया
रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा,
"यह भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। हाइड्रोजन ट्रेनें न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी, बल्कि यह हमें विश्वस्तरीय रेल नेटवर्क की दिशा में भी आगे बढ़ाएंगी।"
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस पहल का स्वागत किया और कहा,
"हरियाणा को देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन की मेजबानी करने का अवसर मिलना गर्व की बात है। यह राज्य के विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगी।"
निष्कर्ष
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का जींद-सोनीपत रूट पर दौड़ना रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह देश को ग्रीन एनर्जी और स्वच्छ परिवहन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा। अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो जल्द ही अन्य रूट्स पर भी हाइड्रोजन ट्रेनें चलाई जाएंगी, जिससे भारतीय रेलवे पूरी तरह से डीजल मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल बन सकेगा।
अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि यह नई ट्रेन अपने पहले सफर में कैसी परफॉर्मेंस देती है और भारत के रेलवे इतिहास में किस तरह बदलाव लाती है।