नारनौंद में 23 मार्च 2025 को शहीदी दिवस के अवसर पर एक कैंडल मार्च आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय युवाओं, समाजसेवी संगठनों और नागरिकों ने भाग लिया। यह मार्च शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान, प्रतिभागियों ने देशभक्ति के नारे लगाए और शहीदों के बलिदान को याद किया। ऐसे आयोजनों का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करना और शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट करना है।narnaund today News
उल्लेखनीय है कि शहीदी दिवस के अवसर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में भी कैंडल मार्च और श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। उदाहरण के लिए, फतेहपुर में लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और भारत माता के जयकारे लगाए। इस प्रकार के आयोजन राष्ट्रीय एकता और जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, जिससे नागरिकों को स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाई जाती है।
शहीदी दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है, जो 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिए जाने की तिथि है। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण था और आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
नारनौंद में शहीदी दिवस पर कैंडल मार्च — पूरी जानकारी बिंदुवार:
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कार्यक्रम की तिथि और स्थान:
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तिथि: 23 मार्च 2025
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स्थान: नारनौंद, हरियाणा
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आयोजन का उद्देश्य:
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शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को याद कर श्रद्धांजलि देना।
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युवाओं में देशभक्ति और बलिदान की भावना जागृत करना।
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कैंडल मार्च में भाग लेने वाले:
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स्थानीय नागरिक
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युवा संगठन
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समाजसेवी संस्थाएं
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छात्र और बुजुर्ग भी शामिल हुए
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मार्च की शुरुआत:
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कैंडल मार्च शाम को मुख्य बाजार से शुरू हुआ और विभिन्न मार्गों से होता हुआ शहीद स्मारक पर संपन्न हुआ।
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"शहीदों अमर रहें", "इंकलाब जिंदाबाद" जैसे देशभक्ति के नारे लगाए गए।
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श्रद्धांजलि सभा:
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मार्च के समापन पर शहीदों की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाए गए।
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स्थानीय नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भाषण देकर शहीदों के बलिदान को याद किया।
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युवाओं का जोश:
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युवाओं ने मशाल जलाकर और मोमबत्तियां जलाकर शहीदों को नमन किया।
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कुछ बच्चों ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की वेशभूषा धारण कर देशभक्ति के नाटक प्रस्तुत किए।
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सुरक्षा व्यवस्था:
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स्थानीय पुलिस ने मार्च के दौरान सुरक्षा का जिम्मा संभाला और ट्रैफिक को सुचारू रूप से नियंत्रित किया।
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शहीदी दिवस का महत्व:
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23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी थी।
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यह दिन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और आजादी के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है।
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समापन संदेश:
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कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने युवाओं से अपील की कि वे शहीदों के सपनों का भारत बनाने के लिए आगे आएं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
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