प्रयागराज में रामनवमी के दिन भड़का विवाद: दरगाह पर चढ़ाया गया भगवा झंडा, इलाके में तनाव

 प्रयागराज में रामनवमी के दिन भड़का विवाद: दरगाह पर चढ़ाया गया भगवा झंडा, इलाके में तनाव



प्रयागराज, 5 अप्रैल: रामनवमी के शुभ अवसर पर प्रयागराज जिले के सिकंदर इलाके में उस समय बड़ा बवाल खड़ा हो गया, जब एक हिंदू संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने एक ऐतिहासिक दरगाह पर भगवा झंडा फहरा दिया। यह घटना महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं द्वारा अंजाम दी गई, जिससे इलाके में communal तनाव फैल गया है।

घटना रविवार शाम करीब 4 बजे की बताई जा रही है, जब करीब 20 से अधिक कार्यकर्ता सिकंदर क्षेत्र में स्थित सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर पहुँचे। उन्होंने पहले नारेबाजी की, फिर दरगाह की दीवारों पर चढ़कर वहां भगवा झंडा फहराया। इस दौरान तीन युवक गुंबद तक भी पहुँच गए और वहां भी झंडा लहराया।

धार्मिक स्थल पर चढ़ाया झंडा, भड़की भावनाएं

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने दरगाह परिसर में प्रवेश करते ही “जय श्री राम”, “भारत माता की जय” और “हिंदू राष्ट्र बनाओ” जैसे नारे लगाए। इसके बाद वे दरगाह की छत पर चढ़ गए और भगवा झंडा फहरा दिया। वहां मौजूद कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश भी की, लेकिन माहौल इतना उत्तेजित हो गया कि कोई कुछ नहीं कर पाया।

कार्यकर्ताओं ने मजार हटाकर वहां मंदिर बनाने की मांग भी की। यह मांग और झंडा फहराने की घटना दरगाह से जुड़े समुदाय के लिए आस्था पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।

इलाके में बढ़ा तनाव, प्रशासन अलर्ट पर

इस घटना के बाद सिकंदर इलाके में तनाव फैल गया। प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तुरंत अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया और इलाके की घेराबंदी कर दी। आसपास के इलाकों में फ्लैग मार्च कराया गया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई।

प्रयागराज के एसएसपी अजय कुमार ने बताया, “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

पुलिस ने घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी है और जिन युवकों ने गुंबद पर चढ़कर झंडा फहराया, उनकी पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इसे एक सोची-समझी उकसावे की कार्रवाई बताया। मुस्लिम समुदाय से जुड़े नेताओं ने प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है और कहा है कि ऐसी घटनाएं देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को चोट पहुंचाती हैं।

मजलिसे-उलेमा के प्रवक्ता मुहम्मद राशिद अली ने कहा, “हम सब शांति चाहते हैं लेकिन बार-बार हमारे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना ठीक नहीं। सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या अब आस्था को लेकर खुलेआम राजनीति की जाएगी?”

वहीं, हिंदू संगठन के कुछ सदस्यों का कहना है कि यह उनकी धार्मिक अभिव्यक्ति का हिस्सा है और उनका दावा है कि वह स्थान पहले एक मंदिर था जिसे अब दरगाह में बदल दिया गया है। हालांकि इसके ऐतिहासिक प्रमाण या वैधता को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

प्रशासन की चुनौतियाँ और संभावित कदम

प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है – स्थिति को सामान्य बनाए रखना, सांप्रदायिक तनाव को बढ़ने से रोकना और दोनों समुदायों के बीच संवाद स्थापित करना। फिलहाल इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है और सोशल मीडिया पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि कोई भड़काऊ संदेश या वीडियो वायरल न हो।

प्रशासन ने साफ किया है कि कोई भी व्यक्ति या संगठन अगर कानून हाथ में लेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, शांति समितियों की बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे।

निष्कर्ष

प्रयागराज की यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि धार्मिक मुद्दे किस प्रकार से संवेदनशील होकर सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकते हैं। जहां एक ओर धार्मिक पर्वों को आपसी भाईचारे और उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा रही है, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की घटनाएं उस पर ग्रहण लगाने का कार्य करती हैं।

आवश्यक है कि समाज के सभी वर्ग, प्रशासन और नेतृत्व मिलकर ऐसे विवादों को रोकें, सच्चाई और कानून के आधार पर कार्रवाई करें और देश की एकता, अखंडता और सांप्रदायिक सौहार्द को सुरक्षित रखें।

(Note: यह घटना संवेदनशील है। खबर तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत की गई है और किसी धर्म, संप्रदाय या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना इसका उद्देश्य नहीं है।)

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