हरियाणा में HKRN के 1200 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त, बेरोजगार हुए सैकड़ों परिवार
चंडीगढ़, हरियाणा में एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए सरकार ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत कार्यरत लगभग 1200 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इस निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों में जबरदस्त आक्रोश है, और वे इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।
सरकार के फैसले से कर्मचारी असमंजस में
HKRN के तहत कार्यरत कर्मचारियों को उम्मीद थी कि उनकी सेवाएं जारी रहेंगी और उन्हें स्थायी नौकरियों में समायोजित किया जाएगा। लेकिन अचानक आई इस छंटनी से न केवल कर्मचारी बल्कि उनके परिवार भी असमंजस में पड़ गए हैं।
प्रभावित कर्मचारियों में से कई का कहना है कि उन्हें इस फैसले की कोई अग्रिम सूचना नहीं दी गई थी। इससे उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से भारी झटका लगा है।
HKRN क्या है और इसकी भूमिका
हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) राज्य सरकार द्वारा स्थापित एक निकाय है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह निगम विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों में संविदा आधार पर नियुक्तियां करता है। लेकिन इस बार सरकार ने 1200 कर्मचारियों को हटाने का फैसला लिया है, जिससे इन कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।
कर्मचारियों में रोष, विरोध प्रदर्शन की तैयारी
HKRN कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाज उठाने की ठानी है। कई कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतरने की घोषणा की है।
एक कर्मचारी का बयान: "हमें बिना किसी कारण बताए नौकरी से निकाल दिया गया है। हमारे पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। हम सरकार से अपील करते हैं कि इस फैसले को वापस लिया जाए।"
सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से अभी तक इस फैसले पर कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह छंटनी बजट कटौती और प्रशासनिक पुनर्गठन का हिस्सा हो सकती है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। कई नेताओं ने इसे जनविरोधी निर्णय बताया और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
आगे की राह
इस बड़े फैसले के बाद, HKRN कर्मचारी संघ और अन्य संगठनों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। वे जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलने और अपनी बात रखने की योजना बना रहे हैं।
निष्कर्ष
HKRN के 1200 कर्मचारियों की नौकरी जाने से न केवल वे प्रभावित हुए हैं बल्कि उनके परिवार भी आर्थिक संकट में आ गए हैं। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए ताकि इन कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित रह सके। इस मामले पर सरकार की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।