हरियाणा में लेबर विभाग की सख्त कार्रवाई शुरू: जींद से हुई शुरुआत, अमीरों की ‘लेबर कॉपी’ पर गिरेगी गाज

 हरियाणा में लेबर विभाग की सख्त कार्रवाई शुरू: जींद से हुई शुरुआत, अमीरों की ‘लेबर कॉपी’ पर गिरेगी गाज

जींद, 5 अप्रैल:
हरियाणा में अब लेबर नियमों की अनदेखी करना महंगा पड़ सकता है। लेबर विभाग ने राज्यभर में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है, जिसकी शुरुआत आज जींद जिले से हुई। यह कार्रवाई विशेष तौर पर उन प्रतिष्ठानों, कंपनियों और ठेकेदारों पर केंद्रित है, जो श्रमिकों की जानकारी छिपाकर या गलत जानकारी देकर "लेबर कॉपी" से बचने की कोशिश करते हैं।

क्या है 'लेबर कॉपी'?
‘लेबर कॉपी’ एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसमें किसी भी कंपनी, निर्माण स्थल या व्यावसायिक संस्था द्वारा नियोजित श्रमिकों की संपूर्ण जानकारी होती है। इसमें उनके नाम, काम के घंटे, मजदूरी, बीमा, ईपीएफ और अन्य कानूनी सुविधाओं की डिटेल शामिल होती है। यह कानूनन अनिवार्य है, ताकि श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा हो सके।

कार्रवाई का पहला चरण: जींद में टीम ने दी दबिश
लेबर विभाग की टीम ने जींद जिले में कई प्रतिष्ठानों और निर्माण स्थलों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान दर्जनों ऐसी साइट्स चिन्हित की गईं, जहाँ या तो लेबर कॉपी मौजूद नहीं थी या उसमें जानकारी अधूरी थी। टीम के अधिकारियों ने मौके पर ही जुर्माना नोटिस जारी किए और कुछ मामलों में साइट को अस्थायी रूप से सील भी किया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी:
"अब सिर्फ छोटे दुकानदारों या ठेकेदारों को ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े कारोबारी और रियल एस्टेट डेवेलपर्स को भी जांच के दायरे में लाया गया है। अमीर लोग अक्सर कानूनी दस्तावेजों को नज़रअंदाज़ करते हैं। अब ऐसी कोई 'लेबर कॉपी' नहीं बचेगी, जो नियमों के दायरे में नहीं आती हो।"

प्रदेशभर में फैलेगी कार्रवाई
विभाग के अनुसार, यह कार्रवाई केवल जींद तक सीमित नहीं रहेगी। आने वाले दिनों में हरियाणा के अन्य जिलों – जैसे करनाल, रोहतक, गुरुग्राम, हिसार, पानीपत, फरीदाबाद, यमुनानगर आदि – में भी इसी तरह की टीमें बनाई जाएंगी जो लेबर नियमों के उल्लंघन की जांच करेंगी।

श्रमिकों को मिलेगा सीधा लाभ
इस मुहिम का सबसे बड़ा लाभ श्रमिकों को होगा। अब उन्हें उचित मजदूरी, काम का निश्चित समय, स्वास्थ्य सुरक्षा, बीमा और सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाएँ मिल सकेंगी। कई बार देखने में आता है कि मजदूरों का न तो रिकॉर्ड रखा जाता है और न ही उन्हें नियमानुसार भुगतान किया जाता है।

क्या कहते हैं श्रमिक और अधिकारी?
जींद के एक निर्माण स्थल पर काम कर रहे मजदूर रामपाल ने कहा:
"कई बार हमें तय मजदूरी नहीं दी जाती और न ही कोई लिखित सबूत होता है। अगर सरकार लेबर कॉपी को अनिवार्य कर रही है, तो हमें भी थोड़ा भरोसा मिलेगा कि हमारे हक की आवाज कहीं तो दर्ज हो रही है।"

वहीं, जींद के लेबर इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने बताया:
"इस अभियान का मकसद डर फैलाना नहीं, बल्कि जागरूकता फैलाना है। जो लोग नियमों का पालन करते हैं, उनके लिए यह एक सकारात्मक कदम है। लेकिन जो अनदेखी करते हैं, उन्हें अब संभलना होगा।"

लेबर विभाग ने दिए सख्त आदेश
हरियाणा के श्रम विभाग ने सभी जिलों को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। नियम तोड़ने पर सीधे आर्थिक दंड, साइट सीलिंग और कानूनी कार्रवाई तक की जा सकती है।

कंपनियों और ठेकेदारों में हलचल
इस सख्ती के बाद कई कंपनियों और ठेकेदारों में खलबली मच गई है। कुछ ने जल्दबाज़ी में अपने लेबर रिकॉर्ड अपडेट करना शुरू कर दिया है, वहीं कुछ ने श्रमिकों को स्थायी रूप से रिकॉर्ड में शामिल करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।

निष्कर्ष
हरियाणा सरकार की यह कार्रवाई निश्चित रूप से एक साहसिक कदम है, जिससे न केवल मजदूरों के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि लेबर लॉ को गंभीरता से लेने की आदत भी विकसित होगी। अमीर हो या गरीब – अब हर किसी को श्रम कानूनों का पालन करना ही होगा।



Previous Post Next Post