हरियाणा में दो नायब तहसीलदार सस्पेंड: बिना NOC के रजिस्ट्री कराने पर बड़ी कार्रवाई, 44 तहसीलदार व NT जांच के घेरे में
चंडीगढ़, 5 अप्रैल:
हरियाणा सरकार ने राजस्व विभाग में लापरवाही और नियमों की अनदेखी के मामलों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। हाल ही में दो नायब तहसीलदारों को सस्पेंड कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने बिना ज़रूरी NOC (No Objection Certificate) के संपत्तियों की रजिस्ट्री कर दी। इतना ही नहीं, जांच के दौरान इन अधिकारियों ने दस्तावेज तक मुहैया नहीं कराए।
इस कार्रवाई के बाद पूरे राज्य के राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया है। अब तक कुल 44 तहसीलदार और नायब तहसीलदार (NT) अधिकारियों को जांच के दायरे में लाया गया है। सरकार ने इस मामले में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि नियमों की अनदेखी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
कैसे सामने आया मामला?
सूत्रों के अनुसार, एक विशेष जांच दल (Special Inquiry Team) ने कुछ जिलों में संपत्ति रजिस्ट्री की प्रक्रिया की समीक्षा शुरू की थी। जांच के दौरान यह पाया गया कि कई रजिस्ट्री ऐसी संपत्तियों की की गई थीं, जो या तो कानूनी विवाद में थीं या जिन पर NOC अनिवार्य था। जांच में यह भी उजागर हुआ कि कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर दस्तावेज़ों को गायब कर दिया या जांच टीम को उपलब्ध नहीं कराए।
विशेष रूप से दो नायब तहसीलदारों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, जिन्होंने बिना NOC के संपत्ति रजिस्ट्री कर दी। सरकार ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए तुरंत निलंबन के आदेश जारी कर दिए।
क्या है NOC की जरूरत?
हरियाणा में संपत्ति की रजिस्ट्री से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि उस जमीन पर कोई कानूनी रोक नहीं है, वह किसी सरकारी परियोजना के तहत नहीं आती, और संबंधित विभागों से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (NOC) प्राप्त है। NOC का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि रजिस्ट्री पारदर्शी और वैध हो।
जब अधिकारी बिना NOC के रजिस्ट्री करते हैं, तो इससे सरकारी भूमि हड़पने, गलत दस्तावेजीकरण और भविष्य में कानूनी विवादों का रास्ता खुलता है।
सरकार का रुख सख्त
राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
"मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्तर की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दो अधिकारियों के सस्पेंशन के बाद जांच का दायरा बढ़ाया गया है और 44 अन्य तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। अगर इनके जवाब संतोषजनक नहीं रहे, तो निलंबन और विभागीय कार्रवाई तय है।"
44 अधिकारी रडार पर – क्यों?
इन अधिकारियों पर संदेह है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए या तो NOC के बिना रजिस्ट्री की, या जानबूझकर कुछ दस्तावेजों को छिपाया। कुछ मामलों में यह भी पाया गया कि जांच टीम को गलत जानकारी दी गई, जिससे रजिस्ट्री की वैधता को लेकर सवाल खड़े हुए।
इन 44 अधिकारियों में सभी जिले शामिल हैं – गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला, हिसार, रोहतक, करनाल, यमुनानगर, भिवानी, और अंबाला जैसे क्षेत्रों के अधिकारी इस जांच के दायरे में हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनभावना
इस कार्रवाई पर विपक्ष ने भी प्रतिक्रिया दी है। एक विपक्षी विधायक ने कहा:
"यह स्थिति सरकार की प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है। अगर अधिकारी इस तरह की मनमानी कर रहे हैं, तो इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है। ऐसे मामलों में सिर्फ सस्पेंशन नहीं, बल्कि कानूनी कार्यवाही भी होनी चाहिए।"
वहीं, आम जनता में इस कदम का स्वागत किया गया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा:
"हम सालों से जमीन के छोटे-मोटे कामों के लिए चक्कर काटते हैं, और बड़े लोग बिना दस्तावेजों के ही रजिस्ट्री करवा लेते हैं। अगर सरकार वाकई सख्त है, तो हमें भरोसा बढ़ेगा।"
भविष्य की दिशा: पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी पर ज़ोर
राजस्व विभाग अब ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए डिजिटलीकरण और ई-गवर्नेंस को और प्रभावी बनाने की योजना पर काम कर रहा है। सभी रजिस्ट्री प्रक्रिया को ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा जा रहा है, ताकि कोई भी रजिस्ट्री बिना दस्तावेजों के आगे न बढ़ सके।
निष्कर्ष
हरियाणा सरकार की यह कार्रवाई एक सख्त संदेश है कि अब सरकारी सिस्टम में जवाबदेही जरूरी है। नायब तहसीलदार जैसे ज़मीनी स्तर के अधिकारी अगर नियमों को ताक पर रखकर कार्य करेंगे, तो इससे केवल सरकारी भरोसे को ठेस ही नहीं लगेगी, बल्कि आम लोगों को भी नुकसान होगा। अब देखना यह है कि जांच के अगले चरण में और कितने अधिकारी घेरे में आते हैं, और क्या यह सख्ती व्यवस्था में बदलाव ला पाएगी या नहीं।